मोतिहारी एसएसपी कुमार आशीष जी, आचरण प्रमाण पत्र पुलिस देती जरूर है पर फ्री नहीं..
प्रिय आशीष सर,
अभी एक मित्र के द्वारा पता लगा कि आपने एक कार्यक्रम का आयोजन किया था #coffeewithssp. पुलिस का जनता से जुड़ने का यह कार्य सराहनीय है मगर उस कार्यक्रम में आपने एक बात कही है 'जिस पुलिस को आप रोज गालियां देते हैं, वही पुलिस आपको आचरण प्रमाण पत्र देती है'.
सर यकीनन वही पुलिस आचरण प्रमाण पत्र देती है, पर असल बात यह है कि आपकी यह पुलिस फ्री में नहीं, बल्कि घूस लेकर आचरण प्रमाण पत्र देती है. अगर तय समय सीमा के अंदर बिना पैसे के पुलिस आचरण प्रमाण पत्र देने लगे तो लोगों की ये गालियां बंद हो जाएंगी. आपसे आग्रह है कि पुलिस के अंदर की घूसखोरी बंद करा दीजिये, पुलिस का जनता के साथ व्यवहार अच्छा करवा दीजिये, पुलिस को गालियां पड़नी बंद हो जाएंगी, ये मैं दावे के साथ कह सकता हूं.
सर, निचले पुलिस अधिकारियों की तो छोड़िए मैं बड़े अफसरों की ही जनता से किये दुर्व्यवहार की एक कहानी बताता हूं...
नाम- एसएसपी जयंत कांत, पता- मुज़फ़्फ़रपुर, बिहार. इन जनाब को एक नागरिक ने व्हाट्सएप्प के माध्यम से सूचना दी इनके थाना अध्यक्ष के द्वारा किये गए दुर्व्यवहार का, जिसका सबूत भी था. वह थानाध्यक्ष गाली गलौज की भाषा का इस्तेमाल कर रहे था, पर जयंत कांत जी बगैर किसी जांच के 5 मिनट के अंदर ही जवाब आया थानाध्यक्ष ने सही किया है और इसके अगले ही पल उन्होंने उस सूचना देने वाले व्यक्ति के नंबर को ब्लॉक कर दिया. एसएसपी साहब ने सूचना देने वाली की एक न सुनी. इस घटना का सबूत आज भी है मेरे पास.
क्या पुलिस का कोई ऑफिसर बिना जांच के कह सकता है कि उसका अफसर निर्दोष है, क्या शिकायतकर्ता या सूचना देने वाले के नंबर को ब्लॉक कर एसएसपी साहब ने सही किया, क्या पुलिस किसी व्यक्ति या अपराधी को गाली दे सकती है? क्या इसकी इजाजत कानून देता है?
अगर ऐसी हरकतें पुलिस के अफसरों द्वारा की जाएंगी तो जनता के मन में उनके लिए गाली का भाव उत्पन्न होगा या नहीं. जनता पुलिस की दुश्मन नहीं है और पुलिस को यह मानना होगा कि पुलिस जनता का, जनता के लिए और जनता की वजह से है. जब तक ये नहीं होगा, पुलिस को गालियां मिलती रहेंगी, क्योंकि पुलिस के कार्य उस लायक ही हो गए हैं. हालांकि, कुछ अपवाद भी हैं, जहां कुछ ईमानदार पुलिसवाले नजीर पेश कर रहे हैं. बुरा लगे तो माफ कीजियेगा, आप पुलिस का जनता के प्रति व्यवहार और घूसखोरी वाले आचरण को बदल दीजिये, मैं अपने विचार बदल लूंगा.
पुलिस की व्यावहारिक और न्यायप्रिय बन कर काम करने की छवि देखने का इछुक एक बिहारवासी-
गौरव सिंह
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